||आरती चन्द्रप्रभु जी भगवान ||
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी |
म्हारे मन भाई जी, म्हारे मन भाई जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
सावन सुदि दशमी तिथि आई, प्रगटे त्रिभुवन राई जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
अलवर प्रांत में नगर तिजारा, दरसे देहरे मांही जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
सीता सती ने तुमको ध्याया, अग्नि में कमल रचाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
मैना सती ने तुमको ध्याया, पति का कुष्ट मिटाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
जिनमें भूत प्रेत नित आते, उनका साथ छुड़ाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
सोमा सती ने तुमको ध्याया, नाग का हार बनाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
मानतुंग मुनि तुमको ध्याया, ताले तोड़ छुड़ाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
जो भी दु:खिया दर पर आया, उसका कष्ट मिटाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
अंजन चोर ने तुमको ध्याया, शस्त्रों से अधर उठाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
सेठ सुदर्शन तुमको ध्याया, सूली का सिंहासन बनाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
समवसरण में जो कोर्इ आया, उसको पार लगाया जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
रत्न-जड़ित सिंहासन सोहे, ता पे अधर विराजे जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
तीन छत्र शीष पर सोहें, चौंसठ चंवर ढुरावें जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
ठाड़ो सेवक अर्ज करे छे, जनम मरण मिटाओ जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
भक्त तुम्हारे तुमको ध्यावें, बेड़ा पार लगाओ जी |
म्हारा चंद्रप्रभ जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ||
Comments
Post a Comment