शीतलनाथ नमौं धरि हाथ, सु माथ जिन्हों भव गाथ मिटाये | अच्युत तें च्युत मात सुनन्द के, नन्द भये पुर बद्दल आये || वंश इक्ष्वाकु कियो जिन भूषित, भव्यन को भव पार लगाये | ऐसे कृपानिधि के पद पंकज, थापतु हौं हिय हर्ष बढ़ाये || ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् | ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः | ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् | देवापगा सु वर वारि विशुद्ध लायो, भृंगार हेम भरि भक्ति हिये बढ़ायो | रागादिदोष मल मर्दन हेतु येवा, चर्चौं पदाब्ज तव शीतलनाथ देवा...
Jinvaani path, pooja & stotra