वासु पूज्य महाराज का, चालीसा सुखकार । विनय प्रेम से बाँचिये, करके ध्यान विचार ।। जय श्री वासुपूज्य सुखकारी, दीन दयाल बाल ब्रह्माचारी । अदभुत चम्पापुर रजधानी, धर्मी न्यायी ज्ञानी दानी ।। वासु पूज्य यहाँ के राजा, करने राज काज निष्काजा । आपस में सब प्रेम बढ़ाने, बारह शुद्ध भावना भाते ।। गऊ शेर आपस में मिलते, तीनो मौसम सुख में कटते । सब्जी फल घी दूध हो घर घर, आते जाते मुनि निरंतर ।। वस्तु समय पर होती सारी, जहा न हो चोरी बीमारी । जिन मंदिर पर ध्वजा फहराए, घंटे घरनावल झान्नाये ।। शोभित अतिशय माय प्रतिमायें, मन वैराग्य देख छा जावे । पूजन दर्शन नवहन करावे, करते आरती दीप जलाये ।। राग रागिनी गायन गायें, तरह तरह के साज बजायें। कोई अलौकिक नृत्य दिखावे, श्रावक भक्ति से भर जावें ।। होती निश दिन शाष्त्र सभाए, पद्मासन करते स्वाध्याये । विषय कषाय पाप नसाये, संयम नियम विविएक सुहाये।। रागद्वेष अभिमान नशाते, गृहस्थी त्यागी धर्म निभाते । मिटें परिग्रह सब तृष्नाये, अनेकांत दश धर्म रमायें ।। छठ अषाढ़ बड़ी उर आये, विजया रानी भाग्य जगायें । सुन रानी से सुल...
Jinvaani path, pooja & stotra