Skip to main content

Posts

Showing posts with the label दौलतराम जी-Daulatram Ji

छहढाला -श्री दौलतराम जी || Chah Dhala , Chahdhala

छहढाला | Chahdhala -----पहली ढाल----- तीन भुवन में सार, वीतराग विज्ञानता । शिवस्वरूप शिवकार, नमहुँ त्रियोग सम्हारिकैं॥ जे त्रिभुवन में जीव अनन्त, सुख चाहैं दु:खतैं भयवन्त । तातैं दु:खहारी सुखकार, कहैं सीख गुरु करुणा धार॥(1) ताहि सुनो भवि मन थिर आन, जो चाहो अपनो कल्यान। मोह-महामद पियो अनादि, भूल आपको भरमत वादि॥(2) तास भ्रमण की है बहु कथा, पै कछु कहूँ कही मुनि यथा। काल अनन्त निगोद मंझार, बीत्यो एकेन्द्री-तन धार॥(3) एक श्वास में अठदस बार, जन्म्यो मर्यो भर्यो दु:ख भार। निकसि भूमि-जल-पावकभयो,पवन-प्रत्येक वनस्पति थयो॥(4) दुर्लभ लहि ज्यों चिन्तामणि, त्यों पर्याय लही त्रसतणी। लट पिपीलि अलि आदि शरीर, धरिधरि मर्यो सही बहुपीर॥(5) कबहूँ पंचेन्द्रिय पशु भयो, मन बिन निपट अज्ञानी थयो। सिंहादिक सैनी ह्वै क्रूर, निबल-पशु हति खाये भूर॥(6) कबहूँ आप भयो बलहीन, सबलनि करि खायो अतिदीन। छेदन भेदन भूख पियास, भार वहन हिम आतप त्रास ॥(7) वध-बन्धन आदिक दु:ख घने, कोटि जीभतैं जात न भने । अति संक्लेश-भावतैं मर्यो, घोर श्वभ्र-सागर में पर्यो॥(8) तहाँ भूमि परसत दु:ख इसो, बिच्छू सहस डसै ...

दर्शन पाठ || DARSHAN PAATH

(दोहा) सकल-ज्ञेय-ज्ञायक तदपि, निजानंद-रस-लीन | सो जिनेन्द्र जयवंत नित, अरि-रज-रहस-विहीन || जय वीतराग-विज्ञान पूर, जय मोह, तिमिर को हरन सूर | जय ज्ञान, अनंतानंत धार, दृग-सुख-वीरज-मंडित अपार ||१|| जय परम-शांत मुद्रा समेत, भविजन को निज-अनुभूति हेत | भवि-भागन वच-जोगे वशाय, तुम ध्वनि ह्वे सुनि विभ्रम नशाय ||२|| तुम गुण-चिन्तत निज-पर-विवेक, प्रगटे, विघटे आपद अनेक | तुम जगभूषण दूषण-विमुक्त, सब महिमा-युक्त विकल्प-मुक्त ||३|| अविरुद्ध शुद्ध चेतन-स्वरूप, परमात्म परम-पावन अनूप | शुभ-अशुभ विभाव अभाव कीन, स्वाभाविक परणतिमय अक्षीण ||४|| अष्टादश-दोष-विमुक्त धीर, स्व-चतुष्टयमय राजत गम्भीर | मुनि-गणधरादि सेवत महंत, नव केवल-लब्धि रमा धरंत ||५|| तुम शासन सेय अमेय-जीव, शिव गये जाहिं जैहें सदीव | भवसागर में दु:ख क्षार-वारि, तारण को और न आप टारि ||६|| यह लख निज-दु:ख-गद-हरण काज, तुम ही निमित्त कारण इलाज | जाने ता तें मैं शरण आय, उचरूं निज-दु:ख जो चिर लहाय ||७|| मैं भ्रम्यो अपनपो बिसरि आप, अपनाये विधि-फल पुण्य-पाप | निज को पर का कर्त्ता पिछान, पर में अनि...