तप तुरंग असवार धार, तारन विवेक कर | ध्यान शुकल असिधार शुद्ध सुविचार सुबखतर || भावन सेना, धर्म दशों सेनापति थापे | रतन तीन धरि सकति, मंत्रि अनुभो निरमापे || सत्तातल सोहं सुभटि धुनि, त्याग केतु शत अग्र धरि | इहविध समाज सज राज को, अर जिन जीते कर्म अरि || ॐ ह्रीं श्रीअरहनाथ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् | ॐ ह्रीं श्रीअरहनाथ जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः | ॐ ह्रीं श्रीअरहनाथ जिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् | कनमनिमय झारी, दृग सुखकारी, सुर सरितारी नीर भरी | मुनिमन सम उज्ज्वल, जनम जरादल, सो ले पदतल धार...
Jinvaani path, pooja & stotra