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सामायिक पाठ (प्रेम भाव हो सब जीवों से) | Samayik Path (Prem bhav ho sab jeevo me) Bhavana Battissi

प्रेम भाव हो सब जीवों से, गुणीजनों में हर्ष प्रभो। करुणा स्रोत बहे दुखियों पर,दुर्जन में मध्यस्थ विभो॥ 1॥ यह अनन्त बल शील आत्मा, हो शरीर से भिन्न प्रभो। ज्यों होती तलवार म्यान से, वह अनन्त बल दो मुझको॥ 2॥ सुख दुख बैरी बन्धु वर्ग में, काँच कनक में समता हो। वन उपवन प्रासाद कुटी में नहीं खेद, नहिं ममता हो॥ 3॥ जिस सुन्दर तम पथ पर चलकर, जीते मोह मान मन्मथ। वह सुन्दर पथ ही प्रभु मेरा, बना रहे अनुशीलन पथ॥ 4॥ एकेन्द्रिय आदिक जीवों की यदि मैंने हिंसा की हो। शुद्ध हृदय से कहता हूँ वह,निष्फल हो दुष्कृत्य विभो॥ 5॥ मोक्षमार्ग प्रतिकूल प्रवर्तन जो कुछ किया कषायों से। विपथ गमन सब कालुष मेरे, मिट जावें सद्भावों से॥ 6॥ चतुर वैद्य विष विक्षत करता, त्यों प्रभु मैं भी आदि उपान्त। अपनी निन्दा आलोचन से करता हूँ पापों को शान्त॥ 7॥ सत्य अहिंसादिक व्रत में भी मैंने हृदय मलीन किया। व्रत विपरीत प्रवर्तन करके शीलाचरण विलीन किय...

मेरी भावना || MERI BHAVNA

 || मेरी भावना ||  कविश्री जुगलकिशोर जिसने राग-द्वेष-कामादिक जीते, सब जग जान लिया | सब जीवों को मोक्षमार्ग का, निस्पृह हो उपदेश दिया || बुद्ध-वीर-जिन-हरि-हर-ब्रह्मा, या उसको स्वाधीन कहो | भक्ति-भाव से प्रेरित हो यह, चित्त उसी में लीन रहो ||१|| विषयों की आशा नहिं जिनको, साम्य-भाव धन रखते हैं | निज-पर के हित-साधन में जो, निश-दिन तत्पर रहते हैं || स्वार्थ-त्याग की कठिन-तपस्या, बिना खेद जो करते हैं | ऐसे ज्ञानी-साधु जगत् के, दु:ख-समूह को हरते हैं ||२|| रहे सदा सत्संग उन्हीं का, ध्यान उन्हीं का नित्य रहे | उन ही जैसी चर्या में यह, चित्त सदा अनुरत्त रहे || नहीं सताऊँ किसी जीव को, झूठ कभी नहिं कहा करूँ | पर-धन-वनिता पर न लुभाऊँ, संतोषामृत पिया करूँ ||३|| अहंकार का भाव न रक्खूँ, नहीं किसी पर क्रोध करूँ | देख दूसरों की बढ़ती को, कभी न ईर्या ह-भाव धरूँ || रहे भावना ऐसी मेरी, सरल-सत्य-व्यवहार करूँ | बने जहाँ तक इस जीवन में, औरों का उपकार करूँ ||४|| मैत्रीभाव जगत् में मेरा, सब जीवों से नित्य रहे | दीन-दु:खी जीवों पर मेरे, उर से करुणा-स्रोत ब...