ॐ जयजिनवाणी माता, ॐ जय जिनवाणी माता,
तुमको निशदिन ध्यावे, सुरनर मुनि ज्ञानी ॥ टेक
श्री जिनगिरिथी निकसी, गुरु गौतम वाणी,
जीवन भ्रम तम नाशन, दिपक दरशाणी ॥ॐजय॥
कुमत कुलाचल चूरन, वज्र सम सरधानी।
नव नियोग निक्षेपन, देखत दरपानी ॥ॐजय॥
पातक पंक पखालन, पुन्य परम वाणी।
मोह महार्णव डूबता, तारन नौकाणी ॥ॐजय॥
लोका लोक निहारन, दिव्य नयन स्थानी।
निज पर भेद दिखावन, सुरज किरणानी ॥ॐजय॥
श्रावक मुनिगण जननी, तुम ही गुणखानी।
सेवक लख सुखदायक, पावन परमाणी ॥ॐजय॥
ॐ जय जिनवाणी माता, ॐ जय जिनवाणी माता,
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