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विसर्जन पाठ | VISARJAN PAATH

VISARJAN PAATH / विसर्जन-पाठ
सम्पूर्ण-विधि कर वीनऊँ इस परम पूजन ठाठ में |
अज्ञानवश शास्त्रोक्त-विधि तें चूक कीनी पाठ में ||
सो होहु पूर्ण समस्त विधिवत् तुम चरण की शरण तें |
वंदूं तुम्हें कर जोड़ि, कर उद्धार जामन-मरण तें ||१||

आह्वाननं स्थापनं सन्निधिकरण विधान जी |
पूजन-विसर्जन यथाविधि जानूँ नहीं गुणखान जी ||
जो दोष लागौ सो नसे सब तुम चरण की शरण तें |
वंदूं तुम्हें कर जोड़ि, कर उद्धार जामन-मरण तें ||२||

तुम रहित आवागमन आह्वानन कियो निजभाव में |
विधि यथाक्रम निजशक्ति-सम पूजन कियो अतिचाव में||
करहूँ विसर्जन भाव ही में तुम चरण की शरण तें |
वंदूं तुम्हें कर जोड़ि कर उद्धार जामन-मरण तें ||३||

(दोहा)
तीन भुवन तिहूँ काल में, तुम-सा देव न और |
सुखकारण संकटहरण, नमौं जुगल-कर जोर ||

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