अनंत समय का चक्र दो भागो में विभाजित है। पहली छमाही है आरोही क्रम, उत्सर्पणि (प्रगतिशील चक्र)। अन्य आधा है अवसर्पणी (प्रतिगामी चक्र) या अवरोही क्रम।
अवसर्पणी के छह आरा (युग) है :-
1. सुखमा-सुखमा (बहुत अच्छा)
2. सुखमा (अच्छा)
3. सुखमा-दुखमा (अच्छा बुरा)
4. दुखमा-सुखमा (बुरा अच्छा) - २४ तीर्थंकर का युग
5. दुखमा (बुरा) - आज का युग
6. दुखमा-दुखमा (बहुत खराब)
क्र | काल | अवधि | मनुष्य-आयु | काया-प्रमाण | वर्ण | आहार |
1 | सुखमा-सुखमा | 4 कोड़ाकोडी सागर | 3 पल्य-2 पल्य | 3 कोश-2 कोश | उदित सूर्य सदृश | 3 दिन बाद |
2 | सुखमा | 3 कोड़ाकोडी सागर | 2 पल्य-1 पल्य | 2 कोश-1 कोश | पूर्ण चन्द्र सदृश | 2 दिन बाद |
3 | सुखमा-दुखमा | 2 कोड़ाकोडी सागर | 1 पल्य-1 पूर्वकोटि | 1 कोश-500 धनुष्य | प्रियडगु सदृश | 1 दिन बाद |
4 | दुखमा-सुखमा | 42000 वर्ष कम 1 कोड़ाकोडी सागर | 1 पूर्वकोटि-120 वर्ष | 500 धनुष्य-7 हाथ | पाँचों वर्ण सदृश कांतिहीन | प्रतिदिन 1 बार |
5 | दुखमा | 21000 वर्ष | 120 वर्ष-20 वर्ष | 7 हाथ-2 हाथ | पाँचों वर्ण सदृश | बहुत बार |
6 | दुखमा-दुखमा | 21000 वर्ष | 20 वर्ष-15 वर्ष | 2 हाथ-1 हाथ | धूम्र वर्ण सदृश | बारम्बार |
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