माता तू दया करके कर्मों से छुड़ा लेना
इतनी सी विनय तुमसे, चरणों में जगह देना
माता आज मैं भटका हूँ, माया के अँधेरे में
कोई नहीं है मेरा इस कर्म के रेले में
कोई नहीं है मेरा तुम धीर बंधा देना ||1||
माता तू दया...
जीवन के चौराहे पर मैं सोच रहा कब से
जाऊं तो किधर जाऊं, यह मन पूछ रहा मन से
पथ भूल गया हूँ मैं, तुम राह दिखा देना ||2||
माता तू दया...
लाखों को उबारा है, मुझको भी उबारो तुम
मंझधार में है नैया, उसको भी तीर दो तुम
मंझधार में अटका हूँ, उस पार लगा देना
माता तू दया...
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