तुम तरण-तारण भव-निवारण, भविक मन आनन्दनो |
श्री नाभिनन्दन जगत-वन्दन, आदिनाथ निरंजनो ||
तुम आदिनाथ अनादि सेऊँ, सेय पद-पूजा करूं |
कैलाशगिरि पर ऋषभ जिनवर, पद कमल हरिदै धरूं ||
तुम अजितनाथ अजीत जीते, अष्टकर्म महाबली |
इह विरद सुनकर शरण आयो, कृपा कीज्यो नाथ जी ||
तुम चन्द्रवदन सुचन्द्रलक्षण चन्द्रपुरी परमेश्वरो |
महासेन-नन्दन जगत-वंदन, चन्द्रनाथ जिनेश्वरो ||
तुम शांति पांच, कल्याण पूजों, शुद्ध मन-वच-काय जू |
दुर्भिक्ष चोरी पापनाशन, विघन जाय पलाय जू ||
तुम बालब्रम्ह विवेक-सागर, भव्य कमल विकाशनो |
श्री नेमिनाथ पवित्र दिनकर, पाप-तिमिर विनाशनो ||
जिन तजी राजुल राजकन्या, कामसैन्या वश करी |
चारित्ररथ चढ़ी भये दूलहा, जाय शिव-रमणी वरी ||
कंदर्प दर्प सु सर्प-लक्ष्छन, कमठ-शठ निर्मद कियो |
अश्वसेन-नंदन जगत-वन्दन सकल संघ मंगल कियो ||
जिन धरी बालकपणे दीक्षा, कमठ-मान विदारकैं |
श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्र के पद, मैं नमों शिर नायकैं ||
तुम कर्मघाता मोक्षदाता, दीन जानि दया करो |
सिद्धार्थ-नंदन जगत-वंदन, महावीर जिनेश्वरो ||
छत्र तीन सोहै सुर नर मोहै, विनती अब धारिये |
कर जोड़ी सेवक विनवै प्रभु, आवागमन निवारिये ||
अब होऊ भव-भव स्वामी मेरे, मैं सदा सेवक रहों |
कर जोड़ यो वरदान मागूं, मोक्षफल जावत लहों ||
जो एक माहीं एक राजत, एक माहीं अनेकनो |
एक अनेकन की नाहिं संख्या, नमूं सिद्ध निरंजनो ||
(चौपाई)
मैं तुम चरण कमल गुण गाय, बहुविधि भक्ति करी मन लाय |
जनम-जनम प्रभु पाऊँ तोहि, यह सेवा फल दीजे मोहि ||
कृपा तिहारी ऐसी होय, जामन मरन मिटावो मोय |
बार-बार मैं विनती करूं, तुम सेय भव सागर तरूं ||
नाम लेट सब दुख मिट जाय, तुम दर्शन देख्या प्रभु आय |
तुम हो प्रभु देवन के देव, मैं तो करूं चरण तव सेव ||
जिन पूजा तैं सब सुख होय, जिन पूजा सम और न कोय |
जिन पूजा तैं स्वर्ग विमान, अनुक्रम तैं पावैं निर्वाण ||
मैं आयो पूजन के काज, मेरो जन्म सफल भयो आज |
पूजा करके नवाऊँ शीश, मुझ अपराध क्षमहु जगदीश ||
(दोहा)
सुख देना दुख मेटना, यही तुम्हारी बान |
मो गरीब की विनती, सुन लीज्यो भगवान ||
पूजन करते देव की, आदि मध्य अवसान |
सुरगन के सुख भोगकर, पावें मोक्ष निदान ||
जैसी महिमा तुम विषैं, और धरैं नहीं कोय |
जो सूरज में ज्योति है, नहीं तारागण होय ||
नाथ तिहारे मान तैं, अघ छिन माहीं पलाय |
ज्यों दिनकर परकाश तैं, अंधकार विनशाय ||
बहुत प्रशंसा क्या करूं, मैं प्रभु बहुत अजान |
पूजाविधि जानूं नहीं, शरण राखि भगवान ||
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